Maldives election's results । मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे

मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे भारत के पक्ष में

 मालदीव के चुनावी नतीजे भारत के पक्ष में
अब्दुल्ला यामीन को हराकर इब्राहिम मोहम्मद बनेंंगें मालदीव के राष्ट्रपति

मालदीव में मालदिवियन डेमोक्रैटिक पार्टी (MDP) के उम्मीदवार इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने रविवार को राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर ली है। इसके साथ ही चीन की तरफ झुकाव रखनेवाले मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन चुनाव हार गए हैं। मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे भारत के लिए अच्छे संकेत दे रहे हैं क्योंकि इब्राहिम भारत के साथ मजबूत संबंधों के हिमायती रहे हैं। 

जीत के बाद सोलिह ने अपने पहले भाषण में कहा, 'यह खुशी, उम्मीद और इतिहास का पल है।' उन्होंने साथ ही सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की अपील की है। 

नतीजे आने के बाद यामीन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, सोलिह ने कहा, 'मैं यामीन से कहना चाहूंगा कि वह लोगों की इच्छा का सम्मान करें और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण करें।' उन्होंने साथ ही राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की भी अपील की है। 


ज्यादा लोकप्रिय नहीं है इब्राहिम

यामीन को मात देनेवाले इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ज्यादा लोकप्रिय नहीं हैं। सोलिह को संयुक्त विपक्ष का समर्थन हासिल है, जो यामीन को सत्ता से बेदखल करना चाहता था। 


लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए मालदीव के पहले राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को अब निर्वासित जीवन बिताना पड़ रहा है। नशीद ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह चुनाव के नतीजों को खारिज करे। 


चुनावी प्रक्रिया पर भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर

चुनावी प्रक्रिया पर भारत और चीन ने करीब से निगाह रखी हुई थी। इस बीच, यूरोपीय संघ और अमेरिका ने चुनाव के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष नहीं होने पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। यामीन ने राजधानी माले में मतदान केंद्र के खुलने के कुछ वक्त बाद ही मतदान किया। मतदान शुरू होने से पहले पुलिस ने विपक्षी मालदिवियन डेमोक्रैटिक पार्टी (एमडीपी) के प्रचार मुख्यालय पर छापा मारा और 'अवैध गतिविधि' रोकने की कोशिश के नाम पर इमारत की कई घंटे तक तलाशी ली। इस सिलसिले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया। 

यामीन ने मालदीव मे आपातकाल लगाया

विपक्ष को ऐसा डर था कि राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयूम के पक्ष में चुनाव में गड़बड़ी हो सकती है। यामीन के पहले कार्यकाल में विपक्षी राजनीतिक पार्टियों, अदालतों और मीडिया पर कड़ी कार्यवाही की गई है। बीते फरवरी में आपातकाल लागू कर, संविधान को निलंबित कर और यामीन के खिलाफ महाभियोग की कोशिश कर रहे सांसदों को रोकने के लिए सैनिकों को भेजकर मौजूदा राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता में डाल दिया था। कई वरिष्ठ जजों और प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। 
                                 Taiwan Fighting Against China

इन कारणों से भारत के लिए बेहद अहम देश है मालदीव

मालदीव हिंद महासागर में स्थित 1200 द्वीपों का देश है, जो भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से काफी अहम है। मालदीव के समुद्री रास्ते से निर्वाध रूप से चीन, जापान और भारत को एनर्जी की सप्लाई होती है।
  1. चीन 10 साल पहले से ही हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना के जहाजों को भेजना शुरू कर चुका था। अदन की खाड़ी में ऐंटी पायरेसी अभियानों के नाम पर मालदीव इंटरनैशनल जियो पॉलिटिक्स में धीरे-धीरे काफी अहम बन गया है। 
  2. दक्षिण एशिया की मजबूत ताकत होने और हिंद महासागर क्षेत्र में नेट सिक्यॉरिटी प्रोवाइडर होने के नाते भारत को मालदीव के साथ सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में मजबूत संबंध बनाए रखने की जरूरत है। 
  3. मालदीव में चीन की बड़ी आर्थिक मौजूदगी भी भारत के लिए चिंता की बात है। कहा जाता है कि मालदीव को बाहरी मदद का 70 फीसदी हिस्सा अकेले चीन से मिलता है। 
  4. इतनी कम आबादी वाले इस देश में चीन आक्रामक अंदाज में पैसे लगा रहा है। जाहिर है चीन वहां इसलिए पैसे नहीं लगा रहा कि वह उसके लिए कोई आकर्षक बाजार है। इसकी इकलौती वजह रणनीतिक है। चीन की महत्वाकांक्षा कहीं न कहीं मालदीव में मिलिटरी बेस बनाने की भी है। अब्दुल्ला यामीन को चीन का करीबी माना जाता था।
  5. कई लोगों का मानना है कि मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन कुछ वैसा ही कर रहे हैं जैसा श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने किया था। ऐसे में इस राजनीतिक संकट पर भारत की चौकन्नी नजर थी।
  6. पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की एमडीपी समेत विपक्ष का समर्थन करने वाली मालदीव की बड़ी आबादी चाहती थी कि भारत इस संकट में अपने पड़ोसी देश की मदद करे और यामीन के खिलाफ कार्रवाई करे। 
  7. मालदीव SAARC का भी सदस्य है। ऐसे में इस इलाके में भारत को अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए मालदीव को अपने साथ रखना जरूरी है। पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा उड़ी में किए गए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में होने वाले SAARC सम्मेलन का भारत द्वारा बहिष्कार करने के आह्वन पर मालदीव एकमात्र ऐसा देश था जिसने इस आह्वान पर अनिच्छा जताई थी। 
  8. यामीन के शासनकाल में मालदीव में कट्टरपंथ तेजी से बढ़ रहा है। ऐसा अक्सर कहा जाता है कि सीरिया में लड़ाई के लिए मालदीव से कई लड़ाके गए थे। अपने पड़ोसी देश में कट्टरपंथ का बढ़ना भारत बर्दाश्त नहीं कर सकता था।
  9. मालदीव के साथ भारत के सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं। मालदीव के साथ नई दिल्ली का धार्मिक, भाषाई, सांस्कृतिक और व्यावसायिक संबंध है। 1965 में आजादी के बाद मालदीव को सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में भारत शामिल था। बाद में भारत ने 1972 में मालदीव में अपना दूतावास भी खोला। 
  10. मालदीव में करीब 25 हजार भारतीय रह रहे हैं। हर साल मालदीव जाने वाले विदेशी पर्यटकों में 6 फीसदी भारतीय होते हैं। (हालांकि कुछ समय से यामीन सरकार भारतीय पर्यटकों को वीजा नही दे रही थी)
  11. मालदीव के लोगों के लिए शिक्षा, चिकित्सा और व्यापार के लिहाज से भारत एक पसंदीदा देश है। विदेश मंत्रालय के अनुसार मालदीव के नागरिकों द्वारा उच्च शिक्षा और इलाज के लिए लॉन्ग टर्म वीजा की मांग बढ़ती जा रही है। 
Maldives election's results । मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे Maldives election's results । मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे Reviewed by Rohit on September 24, 2018 Rating: 5

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